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लेखनी कहानी -04-Dec-2022 प्यार की हद ( सनकी आशिक )



शीर्षक = सनकी आशिक



वो ऐसा कैसे कर सकती है  मेरे साथ , मैंने उसे पागलो की तरह चाहा, उसके पीछे दीवानो की तरह घूमता रहा , अपने प्यार को साबित करने के लिए  उसे अपनी पॉकेट मनी से हर महीने कुछ न कुछ गिफ्ट देता रहा  साथ ही उसे कभी कही घुमाने तो कही बाहर खाना खिलाने ले गया


और अब देखो उसने मुझसे कितनी आसानी से कह दिया कि मुझे भूल जाओ, मेरे घर वालों ने मेरी कही और शादी तय कर दी है 


नही इतनी आसानी से तो मैं उसे छोड़ने से रहा, अगर मेरी नही हुयी तो किसी की भी नही होने दूंगा  फिर चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी क्यू न करना पड़े   राघव ने अपना मोबाइल सोफे पर फेकते हुए कहा



"क्या हुआ मेरे भाई? , प्रिया का फ़ोन था , क्या कहा उसने " राघव के दोस्त सुभाष ने पुछा 


"उसे जो कहना था, उसने वो कह दिया अब मेरी बारी है कुछ करने की, इतनी आसानी से तो मैं उसे किसी और का होने नही दूंगा, फिर चाहे मुझे इसके लिए कुछ भी क्यू न पड़ जाए " राघव ने कहा आक्रोश में आते हुए 


"क्या करने वाला है तू? मेरे भाई  मुझे तेरे इरादे कुछ अच्छे नही लग रहे है, तू अभी गुस्से में है  इसलिए कुछ भी बक रहा है, थोड़ा रिलैक्स हो और ठन्डे दिमाग़ से सोच तुझे खुद समझ आ जाएगा प्रिया के हालात के बारे में


तू जानता तो है , उसके घर वालों को कितने स्ट्रिक्ट है वो चाह कर भी उनके फैसले के खिलाफ नही जा सकती है , मुश्किल से तो उसे कॉलेज आने की इज़ाज़त मिली थी, उसकी दोस्त ने बताया था की उसके घर में लड़कियों को पढ़ाने की इज़ाज़त नही है, जैसे तैसे करके तो वो कॉलेज पहुंची थी  और फिर तेरी उससे मुलाकत हो गयी, और फिर वो मुलाक़ात प्यार में बदल गयी 

मुझे लगता है , उसके परिवार वालों ने कोई अच्छा रिश्ता देख लिया होगा उसके लिए और अब वो उसकी शादी कर देना चाहते होंगे इसलिए उसने कॉलेज भी आना बंद कर दिया

बेहतरी इसी में है की तू भी अब इसे भूल जा, जो कुछ तुम दोनों के दरमियान था उसे एक अच्छा या बुरा जैसा भी ख्वाब समझ कर भूल जा " सुभाष ने कहा



"नही बिलकुल नही, तेरे लिए ये सब कहना आसान होगा, पर मेरे लिए नही मैं उससे प्यार करता हूँ और अगर उसके प्यार के खातिर मुझे किसी भी हद से गुज़रना पड़े तब भी मैं गुज़र जाऊंगा, अगर वो मेरी न हो सकी तो मैं उसे किसी का भी नही होने दूंगा , अगर उसे अपनी ख़ूबसूरती पर इतना ही नाज है  तो मैं उसकी उस ख़ूबसूरती को ही ख़त्म कर दूंगा फिर देखता हूँ कौन उससे शादी करेगा " राघव ने कहा और बाथरूम की तरफ दौड़ा


उसे इस तरह गुस्से में बाथरूम की तरफ दौड़ता देख  सुभाष भी उसकी तरफ दौड़ा ताकि वो उससे पहले बाथरूम में पहुंच कर वहाँ रखी तेजाब की शीशी को अपने काबू में कर सके,


लेकिन ऐसा नही हो पाया, उसके पहुंचने से पहले ही राघव ने वो बोतल उठा ली और बोला " अब मैं उसे दिखाऊंगा की जब एक आशिक सनकी हो जाता है, तो वो क्या कर सकता है, मुझसे मना किया है न ताकि किसी और के साथ शादी कर सके लेकिन मैं ऐसा हरगिज़ भी नही होने दूंगा  उसे दिखा दूंगा की वो मेरी नही हो सकती तो किसी की भी नही हो सकती  उस पर सिर्फ और सिर्फ मेरा हक़ है  "


"राघव मेरे भाई , तू अभी गुस्से में है, तुझे खुद नही पता की तू क्या बोल रहा है और किसके लिए बोल रहा है, मेरी बात ध्यान से सुन मेरे लिए न सही भगवान के लिए ही खुद पर काबू कर,  नही तो तू अपने गुस्से के हाथो  कुछ ऐसा कर बैठेगा  जिसका पछतावा तुझे उम्र भर न जीने देगा और न ही मरने देगा " सुभाष कुछ और कहता उससे पहले  ही राघव बोल पड़ा 


अपनी ये बाते अपने तक रख, मुझे मत बता मुझे क्या करना है , प्रिया से प्यार मैंने किया था , उसके साथ जीने मरने की कसमें मैंने खायी थी  अब उसे इस तरह किसी और का होते कैसे देख सकता हूँ, उसने तो बहुत आसानी से कह दिया की वो मुझसे शादी नही कर सकती क्यूंकि घर वालों ने उसकी शादी कही और तय कर दी है

लेकिन मेरे लिए ये सब सुनना और बर्दाश करना मेरी मर्दानगी को गाली देने के समान है, इसलिए जो मेरा नही हो सकता उसे मैं किसी और का भी नही होने दूंगा , अभी तक उसने सिर्फ मेरा प्यार देखा था लेकिन अब मेरा आक्रोश भी देखना पड़ेगा फिर चाहे  इसके लिए उसे अपने चेहरे से ही क्यू न हाथ धोना पड़े लेकिन मैं पीछे हटने वालों में से नही और तू भी यहाँ से जा नही तो सबसे पहले तुझसे ही निबटऊँगा बाद में किसी और से


सुभाष जो की उसे इस तरह बेकाबू होता देख रहा था  वो समझ गया था की इसके सर पर गुस्सा सवार हो चूका है, इसे समझाने से कुछ नही होगा, और ना ही इसकी कोई भी बात समझ आएगी  इसलिए उसने उसका हाथ पकड़ा  और बाहर खींच कर ले जाते हुए बोला


तुझे अपनी मर्दानगी साबित करना ही है , तो पहले मेरे साथ एक जगह चल उसके बाद तुझे खुद समझ आ जाएगा की जो तू करने जा रहा है वो ठीक है या गलत 

ये कहकर सुभाष ने राघव को अपने साथ बाइक पर बैठा लिया, राघव ने उससे हाथ छुड़ाने की कोशिश  की परन्तु सुभाष ने उसे जाने नही दिया वो ऐसे ही हाथ में तेजाब की बोतल पकडे उसके साथ चलता गया


थोड़ी देर बाद सुभाष ने एक जगह ले जाकर अपनी बाइक रोकी और राघव से उतरने को कहा


"ये क्या जगह है , कहा लेकर आया है तू मुझे  " राघव ने गाड़ी से उतरते ही पूछा 


"तो रुक अभी, तुझे अभी सब समझ आ जाएगा " ये कहते हुए सुभाष ने एक घर के दरवाज़े पर खटखटाया

दरवाज़ा खुलते ही एक बूढी औरत  उस घर से निकली जिन्हे देख सुभाष ने कहा " नमस्ते! चाची केसी है आप, रमा दीदी घर पर है क्या "


"अरे! सुभाष बेटा तुम   आओ, आओ अंदर आओ, तुम्हारी रमा दीदी भी घर पर ही है, उस बेचारी को कहा जाना है वो तो अब पागल सी हो गयी है, किसी को पहचानती ही नही है  " रमा की माँ शांति जी ने कहा


राघव उनके बीच चल रही वार्तालाप को सुन रहा था , इससे पहले वो कुछ कहता तब ही सुभाष ने उसका हाथ पकड़ा और शांति जी के घर के अंदर ले गया  उस घर के बरामदे में एक लड़की जो की कुछ पागलों की तरह व्यवहार कर रही थी ,

उस लड़की ने जैसे ही अपना चेहरा राघव और सुभाष की तरफ किया राघव की चीख निकल गयी और वो सामने खड़ी लड़की जिसका चेहरा बुरी तरह से जला हुआ था, वो हाथ में पत्थर लेकर राघव को मारने दौड़ी और बोली " तू गन्दा है , तुम सब गंदे हो "

सुभाष ने उसे बचा लिया और राघव को वहाँ से ले गया राघव के दिमाग़ में उस लड़की को लेकर बेहद सवाल थे  इससे पहले वो कुछ पूछता तब ही सुभाष बोल पड़ा 


यही है, रमा दीदी जिनके बारे में, मैं चाची से पूछ रहा था इनकी बहुत दुख भरी दास्तां है, जिसे मैं तुझे सुनाने जा रहा हूँ, ये हमारे गांव में रहती थी , अपने माता पिता की इकलौती बेटी थी ,  इनका भी एक ख्वाब था पढ़ लिख कर कुछ बनने का, लेकिन इनके एक सनकी आशिक ने अपनी मर्दानगी साबित करने के लिए, इन्हे अपना ना बना पाने के जूनून में इनके इनके एक ना की वजह से उसने उनका ये हाल कर दिया की पल भर में ही बेचारी की जिंदगी तबह बर्बाद हो गयी , वो तो भाग गया इनके चेहरे पर तेजाब और अपनी मर्दानगी का सबूत पेश करके लेकिन उसके बाद से जो दर्द और तकलीफे ये झेल रही है और उन्ही के चलते इनका इनसे गांव भी छिन गया  क्यूंकि वहाँ इनके अपनों के ही द्वारा इन्हे भिन्न भिन्न नामों से पुकारा जाने लगा जिसके बाद इन्हे गांव से निकाल दिया और अब ये यहाँ शांति चाची के साथ रहती है , जिन्होंने इन्हे अपने घर पनाह दी


अब तू ही बता क्या तू अपने प्यार को पाने के खातिर उसे इस तरह बदनाम करदेना चाहता है , सिर्फ और सिर्फ इस वजह से की वो अपने माता पिता के खिलाफ जाकर तुझसे शादी नही कर सकती 

वो तो अपने प्यार को बचाने की कोशिश कर रही है  और तू है की अपने प्यार को ही बदनाम करने पर तुला है , अगर तू सच में उससे प्यार करता है  तो जाने दे उसे, शायद  तेरा और उसका साथ ईश्वर ने यही तक का लिखा था , तू उसके साथ इस तरह उसका चेहरा ख़राब कर प्यार को बदनाम मत कर मेरे भाई ताकि लोगो का प्रेम पर से भरोसा उठ जाए
सुभाष की बाते राघव की समझ में आ गयी थी 


उसे अपनी गलती का एहसास होने लगा और इस बात का भी आभास होने लगा था , की वक़्त रहते उसके दोस्त ने उसे इतना बड़ा गुनाह करने से बचा लिया जिसकी माफ़ी स्वयं भगवान भी नही देते, वो अपने प्यार की हद पार करके अपने ही प्यार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा था , उसने सुभाष से माफ़ी मांगी और वहाँ से चला गया 



प्रतियोगिता हेतु लिखी कहानी  







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3 Comments

Peehu saini

06-Dec-2022 07:40 PM

Adwitiya 🌹👏

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Gunjan Kamal

06-Dec-2022 02:11 PM

लाजवाब प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Vedshree

04-Dec-2022 02:28 AM

बेहतरीन रचना 👌

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